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पृष्ठभूमि

आइ.आर.एफ़.सी भारतीय रेल्वे की चल-स्टाक परिसंपत्तियां और प्रोजेक्ट परिसंपत्तियां में पूँजी लगाने में पट्टे के एक प्रारूप का इस्तेमाल करता है | पट्टे की अवधि प्रायः 30 वर्ष की होती है, जिसमें 15 वर्ष का एक प्राथमिक घटक होता है और 15 वर्ष का ही एक दूसरा घटक होता है | पट्टे के प्रावधान के अनुसार मूल रक़म व ब्याज की वसूली प्राथमिक घटक में होती है और पट्टे की अवधि की समाप्ति पर सभी परिसंपत्तियां रेल मंत्रालय को एक मामूली रक़म के बदले बेच दी जाती है |

कंपनी ने रेल मंत्रालय के साथ एक लागत प्लस पट्टा व्यवस्था अपनाई है जो आईआरएफसी के लिए शुद्ध ब्याज मार्जिन सुनिश्चित करती है। एमओआर छमाही आधार पर कंपनी को लीज रेंटल का भुगतान करता है और लीज प्राइसिंग में मूलधन की चुकौती और ब्याज भुगतान दोनों शामिल हैं।